भविष्यवाणी | Bhavishyavani

 


TITLE - BHAVISHYAVANI
CATEGORY - DRAMA

किसी समय की बात है कि एक इंसान अपनी पत्नी को लेने अपने ससुराल जा रहा था। जब वह जा रहा था, तो रास्ते में उसने एक गधे को देखा जो एक खाई के पास चर रहा था। तभी गधे का पैर फिसला और वो सीधा खाई में जा गिरा। हालांकि उस इंसान ने इस घटना को देख लिया था लेकिन बीना कोई सहायता किये वो आगे बढ़ गया और यह घटना भी उसके ससुराल से महज दो मील दूर ही घटी थी।
अब जब दामाद अपने ससुराल पंहुचा तो उसकी खूब आव-भगत की गई। दिनभर उसके और उसके गांव के हाल-चाल पूछें गये। फिर शाम को उसका साला आया।

साला - जीजाजी आप यहाँ दोपहर के बैठे-बैठे ऊब गये होंगे। चलों चलकर नगर देख आये।

जीजाजी - सही कहा आपने। चलिए नगर देख आते है।

अब दोनों जीजा-साला बातें करते हुये नगर देख रहे थे कि तभी एक शख्श उनके पास आता है।

शख्स - भाईसाहब! आपने यहाँ आस-पास कोई गधा देखा क्या?

जीजाजी - गधा? मतलब देखने में कैसा था वो?

शख्श - ज्यादा भारी नहीं था, हल्का-सा दुबला-पतला था और उसकी पीठ पर पांचो अंगुलीयो का निशान था।

तभी जीजाजी को याद आया कि ये तो वो ही गधा है जो उस खाई में गिरा था और जीजाजी को एक उपाय सुझा।  उसने सोचा क्यों ना इससे कुछ पैसा कमाया जाये।
यही सोचकर

जीजाजी - भाईसाहब! मैंने ऐसा कोई गधा देखा तो नहीं, लेकिन मैं आपकी सहायता कर सकता हूँ।

शख्श - (हैरान होते हुये) सहायता! कैसी सहायता?

जीजाजी - मतलब कि मैं एक सोनी हूँ और सोन लेके बता सकता हूँ कि आपका गधा इस वक़्त कहाँ होगा।

शख्स - अरे भाईसाब! फिर तो अपका बहुत बड़ा उपकार होगा।

जीजाजी - लेकिन मेरा शुल्क 100 सोने के सिक्के है। यदि आप चुका सकते है तो मैं आपके गधे का पता दे दूँगा।

शख्स - ठीक है भाईसाहब! आपकी जो इच्छा लेकिन आप हमारे गधे का पता बता दीजिये क्योंकि उसके बिना हमारा सारा काम बंद पड़ा हुआ है।

जीजाजी - तो फिर ठीक है चलिए आपके घर। मैं वही सोन लेके आपके गधे का पता बताऊंगा और आप वही मेरा शुल्क भी अदा कर देना।

यह कहकर दोनों जीजा-साला उस शख्स के साथ हो लेते है। तभी रास्ते में धीरे से साला साहब पूछते है - 'अरे जीजाजी! आपने यह सोन विद्या कब सीख ली। आपने या जीजी ने तो कभी बताया ही नहीं।'

जीजाजी - बात दरअसल ऐसी है ना साले साहब कि कोई-कोई विद्या ऐसी होती है जिसका जब तक जिक्र नहीं किया जा सकता तब तक कि उसका प्रयोग करने का सही समय नहीं आ जाता। इसलिए मैंने आज तक आपकी जीजी को भी इस विद्या के बारे में नहीं बताया लेकिन जब आज प्रयोग करने का सही समय आया तो मैंने आपके सामने ही इसके बारे में जिक्र कर दिया।

इतने में वो उस शख्स के घर पहुँच जाते है। वो शख्स उन्हें जलपान कराता है और बैठने के लिए एक सुंदर-सा आसन देता है।

शख्स - अब आप सोन लेके कृपया हमारे गधे के बारे में बता दीजिये। ताकि हम उसे वहां से ला सके।

अब जीजाजी सोन लेने का ढोंग करने लगते है और काफी देर तक आँखे बंद करके, सिर घुमाते हुये, अंगुलीयो से कुछ गणना करते हुये ढोंग करते है। फिर काफी देर बाद आंखें खोल के बोलते है कि आपका गधा यहाँ से दो मील दूर पूर्व दिशा में जो खाई है, उसमें गिरा पड़ा है।

अब जब वो शख्स वहां जा कर देखता है तो वास्तव में वो गधा वही पर ही था। वो उसे निकाल के लाता है और घर आकर जीजाजी का धन्यवाद कर उसका शुल्क अदा करता है।


अब अगले दिन तक वो शख्स पूरे गांव में यह खबर फैला देता है कि फलां आदमी का जीजा सोन लेने में माहिर है और वह सोन लेके सब कुछ सही-सही बता देता है।


यह बात धीरे-धीरे राजा के कानों में भी पड़ती है कि फलां आदमी का जीजा सोन लेने में माहिर है। तो राजा दो सिपाही भेज कर जीजाजी को बुलाने के लिए भेजता है।


दरअसल एक दिन पहले राजा का बेशकीमती और परम्परागत पूर्वजो का हार किसी ने चुरा लिया था। उसी की खोज के लिए राजा जीजाजी को बुला लाने सिपाही भेजता है। शाम तक सिपाही जीजाजी को लेकर महल पहुँच जाते है।


जीजाजी - महाराज की जय हो!


राजा - आओ शख्स! हमने सुना है कि आप सोन लेके सब कुछ सच बता देते हो।


अब जीजाजी के सामने विपदा आ पड़ी कि सच बताये तो भी सजा मिलेगी और झूठ बोलेगा तो भी सजा मिलेगी क्योंकि वो हार का कैसे पता लगा पायेगा? लेकिन जीजाजी डरते-डरते 'हाँ' भर देते है।


राजा - तो फिर ठीक है। आप हमारे बेशकिमती हार का पता लगाइये। यदि आप ऐसा करते है तो आपको सोने-चाँदी के आभूषण भेंट स्वरूप दिये जाएँगे लेकिन यदि आप हार का पता नहीं लगा पाते है तो आपका सर कलम कर दिया जाएगा।


अब तो जीजाजी को पक्का यकींन हो गया 

 था कि अब इस झूठ के चलते उसकी मौत तय है।


लेकिन जीजाजी किसी तरह राजा-जी से रात भर का समय मांगने की सोचते है ताकि वो मरने से बचने का कोई उपाय निकाल सके। 


जीजाजी - महाराज! मैं आपके हार का पता तो लगा दूँगा लेकिन उसके लिए मुझे कुछ मंत्रो का पाठ करने की आवश्यकता पड़ेगी इसके लिए मुझे आज रातभर का समय चाहिए। मैं सुबह ही आपके हार का पता लगा पाऊँगा।


राजा - (कुछ सोचते हुये) हूँ..... । चलो ठीक है। आज रात का समय दिया। लेकिन शर्त याद रखना।


यह कहकर राजा सिपाहियों को आदेश देते है कि इन्हें आज रात के लिए मेहमान कक्ष में ठहराया जाये। जीजाजी को मेहमान कक्ष में ले जाया जाता है। वहां उसकी खूब मेहमान नवाजी की जाती है। 


अब रात के समय पूरे राजमहल में सब लोग सो गए थे लेकिन जीजाजी की आंखों मे नींद कहा? उसे तो इस बात का डर था कि सवेरे होते ही उसका सर कलम कर दिया जाएगा। यही सोचते-सोचते वह बुदबुदाने लगता है - आ जाओ रे नींदी, कल कटेगी मुंडी।


दरअसल राजा के हार की चोरी नींदी और मुंडी नाम के दो चोरों ने ही की थी जो कि महल में सिपाही का काम किया करते थे। ये दोनों उस रात जीजाजी के कमरे की पहरेदारी कर रहे थे। तभी दोनों ने जीजाजी की बात सुन ली। उन्हें लगा कि इन्होने सोन लेके पता लगा लिया है कि चोर हमी है और कल ये राजाजी को बता देंगे। उसके बाद तो हमारी मौत तय है। यही सोचकर वो दोनों जीजाजी को पूरी बात बताते है और बोलते है कि हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई जो राजा जी का बेशकिमती हार चुरा लिया। हम ऐसी गलती दुबारा नहीं करेंगे। बस आप हमारा नाम राजा जी को मत बताना। इसके लिए हम आपको ढेर सारा धन भी देने को तैयार है।


अब जीजाजी खुश हो जाते है कि चलो मरने से तो बचे ही साथ ही साथ दोनों तरफ से धन भी मिलेगा। यही सोचकर जीजाजी उनकी बात मान लेते है।


जीजाजी - तो फिर ठीक है। आप दोनों उनका हार लेकर उनके कमरे के बाहर जो सिपाही का बड़ा पुतला लगा हुआ है, उसके अंदर रख दो। मैं कल सवेरे बस हार का पता बताऊंगा, चोरी करने वालोंं का नहीं।


अब नींदी और मुंडी भी खुश हो जाते है। चलो हार गया सो गया लेकिन जान तो बची और यही सोचकर वो हार को उस पुतले के अंदर रख देते है।


अब जब सुबह राजा जी हार का पता पूछते है तो जीजाजी बताते है कि महाराज! आपका हार मजाक करने के उद्देश्य से किसी ने आपके कमरे के बाहर खड़े सिपाही के पुतले में रख दिया था।


राजा - सिपाहियों! जाओ और उस पुतले में हार की जांच करो।


थोड़ी देर बाद सिपाही आते है, साथ में राजा का हार भी था। यह देखकर राजा खुश हो जाता है और जीजाजी को ढेरो सोने और चाँदी के आभूषण देकर विदा करता है।