भविष्यवाणी | Bhavishyavani
TITLE - BHAVISHYAVANI
CATEGORY - DRAMA
अब अगले दिन तक वो शख्स पूरे गांव में यह खबर फैला देता है कि फलां आदमी का जीजा सोन लेने में माहिर है और वह सोन लेके सब कुछ सही-सही बता देता है।
यह बात धीरे-धीरे राजा के कानों में भी पड़ती है कि फलां आदमी का जीजा सोन लेने में माहिर है। तो राजा दो सिपाही भेज कर जीजाजी को बुलाने के लिए भेजता है।
दरअसल एक दिन पहले राजा का बेशकीमती और परम्परागत पूर्वजो का हार किसी ने चुरा लिया था। उसी की खोज के लिए राजा जीजाजी को बुला लाने सिपाही भेजता है। शाम तक सिपाही जीजाजी को लेकर महल पहुँच जाते है।
जीजाजी - महाराज की जय हो!
राजा - आओ शख्स! हमने सुना है कि आप सोन लेके सब कुछ सच बता देते हो।
अब जीजाजी के सामने विपदा आ पड़ी कि सच बताये तो भी सजा मिलेगी और झूठ बोलेगा तो भी सजा मिलेगी क्योंकि वो हार का कैसे पता लगा पायेगा? लेकिन जीजाजी डरते-डरते 'हाँ' भर देते है।
राजा - तो फिर ठीक है। आप हमारे बेशकिमती हार का पता लगाइये। यदि आप ऐसा करते है तो आपको सोने-चाँदी के आभूषण भेंट स्वरूप दिये जाएँगे लेकिन यदि आप हार का पता नहीं लगा पाते है तो आपका सर कलम कर दिया जाएगा।
अब तो जीजाजी को पक्का यकींन हो गया
था कि अब इस झूठ के चलते उसकी मौत तय है।
लेकिन जीजाजी किसी तरह राजा-जी से रात भर का समय मांगने की सोचते है ताकि वो मरने से बचने का कोई उपाय निकाल सके।
जीजाजी - महाराज! मैं आपके हार का पता तो लगा दूँगा लेकिन उसके लिए मुझे कुछ मंत्रो का पाठ करने की आवश्यकता पड़ेगी इसके लिए मुझे आज रातभर का समय चाहिए। मैं सुबह ही आपके हार का पता लगा पाऊँगा।
राजा - (कुछ सोचते हुये) हूँ..... । चलो ठीक है। आज रात का समय दिया। लेकिन शर्त याद रखना।
यह कहकर राजा सिपाहियों को आदेश देते है कि इन्हें आज रात के लिए मेहमान कक्ष में ठहराया जाये। जीजाजी को मेहमान कक्ष में ले जाया जाता है। वहां उसकी खूब मेहमान नवाजी की जाती है।
अब रात के समय पूरे राजमहल में सब लोग सो गए थे लेकिन जीजाजी की आंखों मे नींद कहा? उसे तो इस बात का डर था कि सवेरे होते ही उसका सर कलम कर दिया जाएगा। यही सोचते-सोचते वह बुदबुदाने लगता है - आ जाओ रे नींदी, कल कटेगी मुंडी।
दरअसल राजा के हार की चोरी नींदी और मुंडी नाम के दो चोरों ने ही की थी जो कि महल में सिपाही का काम किया करते थे। ये दोनों उस रात जीजाजी के कमरे की पहरेदारी कर रहे थे। तभी दोनों ने जीजाजी की बात सुन ली। उन्हें लगा कि इन्होने सोन लेके पता लगा लिया है कि चोर हमी है और कल ये राजाजी को बता देंगे। उसके बाद तो हमारी मौत तय है। यही सोचकर वो दोनों जीजाजी को पूरी बात बताते है और बोलते है कि हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई जो राजा जी का बेशकिमती हार चुरा लिया। हम ऐसी गलती दुबारा नहीं करेंगे। बस आप हमारा नाम राजा जी को मत बताना। इसके लिए हम आपको ढेर सारा धन भी देने को तैयार है।
अब जीजाजी खुश हो जाते है कि चलो मरने से तो बचे ही साथ ही साथ दोनों तरफ से धन भी मिलेगा। यही सोचकर जीजाजी उनकी बात मान लेते है।
जीजाजी - तो फिर ठीक है। आप दोनों उनका हार लेकर उनके कमरे के बाहर जो सिपाही का बड़ा पुतला लगा हुआ है, उसके अंदर रख दो। मैं कल सवेरे बस हार का पता बताऊंगा, चोरी करने वालोंं का नहीं।
अब नींदी और मुंडी भी खुश हो जाते है। चलो हार गया सो गया लेकिन जान तो बची और यही सोचकर वो हार को उस पुतले के अंदर रख देते है।
अब जब सुबह राजा जी हार का पता पूछते है तो जीजाजी बताते है कि महाराज! आपका हार मजाक करने के उद्देश्य से किसी ने आपके कमरे के बाहर खड़े सिपाही के पुतले में रख दिया था।
राजा - सिपाहियों! जाओ और उस पुतले में हार की जांच करो।
थोड़ी देर बाद सिपाही आते है, साथ में राजा का हार भी था। यह देखकर राजा खुश हो जाता है और जीजाजी को ढेरो सोने और चाँदी के आभूषण देकर विदा करता है।